ये मेरी दूसरी प्रस्तुति है जिसमें मैंने उन सब बातों का ध्यान रखने का प्रयास किया है जो मेरे मित्रों ने मुझे मेरी पहली कविता का प्रोत्साहन देते हुए कहा था. आप सब की हौंसला अफजाई की वजह से ही आज मैं आपके सम्मुख अपनी दूसरी रचना लेकर आई हूँ.
निगाहों की खता नहीं , ये तेरे चेहरे का नूर है जो उनमें बस गया
पलकों के कोने में नींद बनकर सपनो में घुल गया
दिल की खता नहीं , ये तेरे लफ़्ज़ों का सुरूर है जो दबे एहसासों को जिंदा कर गया
धड़कन की गहराईयों में जाकर दुआ बनकर कबूल हो गया
कहकशों की खता नहीं , ये तेरी चाहत का फ़ितूर है जो बेगाने अंजुमन को भी एक तसव्वुर दे गया
सांसों में उलझे तेरे नाम की कसक को उस पल जिंदा सा कर गया
तकदीर की खता नहीं , ये खुदा का कसूर है जो हर दिल में मोहब्बत दे गया
बहती हवा बनकर जुड़ी पतंगों को जुदा कर गया
फासलों की खता नहीं , ये तेरी मोहब्बत का जूनून है जो भीड़ में भी तनहाइयों का आलम कर गया
इस पाक और बेबस दिल पर ग़मों की गहरी चोट कर गया
बंदिशों की खता नहीं , ये दुनिया का दस्तूर है जो हर ख्वाब को हकीकत से तार्रुफ़ कर गया
समंदर में उठे उस तूफान की तरह जो लहरों को बिखेर कर किनारे कर गया
निगाहों की खता नहीं , ये तेरे चेहरे का नूर है जो उनमें बस गया
पलकों के कोने में नींद बनकर सपनो में घुल गया
दिल की खता नहीं , ये तेरे लफ़्ज़ों का सुरूर है जो दबे एहसासों को जिंदा कर गया
धड़कन की गहराईयों में जाकर दुआ बनकर कबूल हो गया
कहकशों की खता नहीं , ये तेरी चाहत का फ़ितूर है जो बेगाने अंजुमन को भी एक तसव्वुर दे गया
सांसों में उलझे तेरे नाम की कसक को उस पल जिंदा सा कर गया
तकदीर की खता नहीं , ये खुदा का कसूर है जो हर दिल में मोहब्बत दे गया
बहती हवा बनकर जुड़ी पतंगों को जुदा कर गया
फासलों की खता नहीं , ये तेरी मोहब्बत का जूनून है जो भीड़ में भी तनहाइयों का आलम कर गया
इस पाक और बेबस दिल पर ग़मों की गहरी चोट कर गया
बंदिशों की खता नहीं , ये दुनिया का दस्तूर है जो हर ख्वाब को हकीकत से तार्रुफ़ कर गया
समंदर में उठे उस तूफान की तरह जो लहरों को बिखेर कर किनारे कर गया
मिनी जी,
जवाब देंहटाएंआपकी ये पंक्तियां वाकई में कातिल हैं, मैंने इन्हे बार बार पढ़ा!
"कहकशों की खता नहीं , ये तेरी चाहत का फ़ितूर है जो बेगाने अंजुमन को भी एक तसव्वुर दे गया
सांसों में उलझे तेरे नाम की कसक को उस पल जिंदा सा कर गया"
बहुत ही उम्दा सोच है आपकी, ऐसे ही लिखते रहिये, आपकी सोच ही आपको बहुत आगे ले के जायेगी!
एक ही शब्द आपकी प्रशंसा में, "आफरीन"
फासलों की खता नहीं , ये तेरी मोहब्बत का जूनून है जो भीड़ में भी तनहाइयों का आलम कर गया
जवाब देंहटाएंइस पाक और बेबस दिल पर ग़मों की गहरी चोट कर गया
वाह...वा...बहुत खूब...
नीरज
बंदिशों की खता नहीं , ये दुनिया का दस्तूर है जो हर ख्वाब को हकीकत से तार्रुफ़ कर गया
जवाब देंहटाएंसमंदर में उठे उस तूफान की तरह जो लहरों को बिखेर कर किनारे कर गया...
बहुत ही सुन्दर रचना है.
बंदिशों की खता नहीं , ये दुनिया का दस्तूर है जो हर ख्वाब को हकीकत से तार्रुफ़ कर गया
जवाब देंहटाएंसमंदर में उठे उस तूफान की तरह जो लहरों को बिखेर कर किनारे कर गया
bahut sunder rachna.....jitni baar padhta hu utni baar aur padhne ka man hota hai
तकदीर की खता नहीं , ये खुदा का कसूर है जो हर दिल में मोहब्बत दे गया
जवाब देंहटाएंबहती हवा बनकर जुड़ी पतंगों को जुदा कर गया
waise to harek pankti wahwahi maangti hai!
भावपूर्ण सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंऐसे ही लिखती रहें...
शुभकामनाएं !!!
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंbahut khub likha eske liye aap mubarakbaad ke mustaek hai
जवाब देंहटाएंkabhi hamare blog per bhi darshan de
बहुत सुन्दर कविता ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
mini ji
जवाब देंहटाएंरंग भरा स्नेह भरा अभिवादन !
आपकी दोनों कविताएं पढ़ी हैं … अच्छे काव्य-प्रयास हेतु साधुवाद !
रंजना जी जैसी विदुषी आत्मीयता और अपनत्व से ही कुछ कहती हैं … मैं भी उन्हीं के शब्द काम में ले रहा हूं …
ऐसे ही लिखती रहें …
शुभकामनाएं !!!
♥ होली की शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं !♥
होली ऐसी खेलिए , प्रेम का हो विस्तार !
मरुथल मन में बह उठे शीतल जल की धार !!
- राजेन्द्र स्वर्णकार