मंगलवार, 11 जनवरी 2011

meri pehli kavita

ये कविता मेरी ज़िन्दगी में आये  उतार चढ़ाव  और  उनसे  मिली सीख  पर  आधारित  है . ये  कविता  मेरी  लिखी  गयी  पहली  कविता   है!  मुझे  इस  दिशा  की  ओर  जिसने  प्रोत्साहा  है वो   इस  कविता  में  मेरी  प्रेरणा  बनकर  मेरे  साथ  है  मैं  उनकी  सदा  शुक्रगुजार  रहूंगी , उनसे मिली  सीख  जो  मुझे  प्रेरणा  देती  है आशा है की  वो  आप  सब  को  निम्न  पंक्तियों  में   नज़र आएगी .
  

जज्बातों  पर  काबू  कर  हसकर  जीना  सीखा  है  आपसे
मुश्किलों  को  पीछे  छोड़  आगे  बढ़ना  सीखा  है  आपसे   
समंदर  में  उठे  तूफान  से  लड़कर  किनारे  पहुँचना  सीखा  है  आपसे
डूबती  नाव  न  बनकर   कश्ती को  पार  लगाना  सीखा  है  आपसे
किसी  की  ना  को  हाँ  में  बदलना  भी  सीखा  है  आपसे

गर आप  जिंदगी  में  ना  होते  तो  क्या  होता , क्यूंकि  ज़िन्दगी  के  मायने  भी   सीखे  हैं  आपसे
   

प्यार  से  हर  बात  को  कह जाना  सीखा  है  आपसे 
इस  दुनिया  में  मतलब  का  हर  रिश्ता  है , ये   भी  तो  सीखा  है  आपसे 
जो  मिलता  है  वोह  साथ  कभी  रहता  नहीं  , ये   भी   सीखा  है  आपसे 
बिन  कहे  जो  हर  बात  समझ  ले ,  ऐसे  सचाई  को  भी  पड़ना  सीखा  है  आपसे
 ख़ूबसूरत  बनने  के  लिए , ख़ूबसूरत  सोच  को  रखना  भी  सीखा  है  आपसे
  
 गर आप जिंदगी  में  ना  होते , तो  क्या  होता , क्योंकि  ज़िन्दगी  के  मायने  भी  सीखे  हैं  आपसे   
  सीख  इंसा  को  आगे  बदने  का  रास्ता  देती  है , ये ही  तो सीखा  है  आपसे
  जब मुश्किलें इंसान को झुला देती हैं ,तो सीख ही तो है जो संभालती  है ,ये सब सीखा  है  आपसे
  साया साथ छोड़ सकता है मगर सोच हरदम साथ है , ये भी तो सीखा है आपसे
  अपनी सोच पर जो काबू कर जाये  उसको  कोई  हरा  सकता  नहीं  , यह  सीखा  है  आपसे
  इतना  कुछ  सीख  कर  भी  गर  कुछ  न  पाया  जीवन  में  तो, फिर  क्या  सीखा  है  आपसे

  गर आप जिंदगी  में  ना  होते , तो क्या होता क्योंकि ज़िन्दगी  के  मायने  भी  सीखे  हैं  आपसे!